The Author Saurabh kumar Thakur फॉलो Current Read लड़के भी रोते हैं - पार्ट 1 By Saurabh kumar Thakur हिंदी रोमांचक कहानियाँ Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books नक़ल या अक्ल - 81 ( Last Part ) 81 अक्ल कभी कभी वक्त को भी पंछी की तरह पर लग जाते हैं। ऐसे... इश्क दा मारा - 25 राजीव की हालत देख कर उसे डैड घबरा जाते हैं और बोलते हैं, "तु... द्वारावती - 71 71संध्या आरती सम्पन्न कर जब गुल लौटी तो उत्सव आ चुका था। गुल... आई कैन सी यू - 39 अब तक हम ने पढ़ा की सुहागरात को कमेला तो नही आई थी लेकिन जब... आखेट महल - 4 चारगौरांबर को आज तीसरा दिन था इसी तरह से भटकते हुए। वह रात क... श्रेणी लघुकथा आध्यात्मिक कथा फिक्शन कहानी प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान कुछ भी क्राइम कहानी उपन्यास Saurabh kumar Thakur द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां कुल प्रकरण : 2 शेयर करे लड़के भी रोते हैं - पार्ट 1 (5) 3k 6.7k 1 जीवन में एक समय ऐसा भी आया जब मैं रोना चाहता था । पर वो कहते हैं ना, लड़के नहीं रोते बे......... हाँ, सच में लड़के नहीं रोते, चाहे जेब एक भी पैसा नहीं हो बाजार से कई चीजें खरीदने को मन करे....... भयंकर भूख लगी हुई हो, पापा से पैसे मांगने का मन ना करे । लड़के तब भी नहीं रोते । सच में लड़के नहीं रोते । नहीं बे... रोते हैं, लड़के भी रोते हैं । हाँ! सही पढ़ा आपने लड़के भी रोते हैं, लड़के तब नहीं रोते जब उनका पेट खाली हो, लड़के तब नहीं रोते जब उनके कपड़े फटे हो, लड़के तब भी नहीं रोते जब वो दूसरे शहर में हो और जेब में एक धेला नहीं हो, लड़के नहीं रोते........ पता है एक उम्र के बाद लड़कों को आँसू क्यों नहीं आती, पता है एक उम्र के बाद लड़के रोना क्यों छोड़ देते हैं, क्योंकि उस उम्र के बाद दुनिया में कोई ऐसा कंधा नहीं बना जो एक लड़के के रोते हुए सर को सम्भाल सके । उस उम्र के बाद कोई ऐसा आँचल नहीं बना जो उनके आँख से निकलती आँसू को पोंछ सके । एक उम्र तक लड़के रोते हैं तब वो अपनी माँ की गोद में सर छुपा लेते हैं, माँ के आँचल में आँसू पोंछ लेते हैं । लेकिन एक उम्र के बाद जब उन्हें घर बनाने के लिए घर छोड़ कर जाना पड़ता है तब बहोत भयंकर आँसू आते हैं आँखों में, यदि लड़के उस दिन रो पड़े तो कई गंगा बन जाए उन आंसुओ से । माँएं रोती हैं उस दिन बेटे को जाता देख । पर बेटे नहीं रोते, सोचते हैं कि अगर वो ही रोने लगे तो माँ को कौन चुप कराएगा। लड़के रोना चाहते हैं, अपने दिल का दर्द कम करना चाहते हैं पर रोते नहीं । अपने आँसू पी लेते हैं । लड़के तब भी रोना चाहते हैं जब कॉलेज का फीस भरना हो लेकिन पापा के जेब की हालत पता हो; चाहे पापा को पैसे मिले हो या नहीं मिले हो काम से ! चाहे पापा के जेब में हजारों रुपये क्यों ना पड़े हो । लड़के एक बार सोचते हैं पापा से एक हजार रुपये मांगने से पहले। कहीं ये लोन की किस्त के लिए तो नहीं है, कहीं ये बहन के ट्यूशन फीस तो नहीं है, कहीं ये मम्मी के दवाई के लिए तो नही है । कहीं ये पापा ने अपने लिए नए कपड़े खरीदने के लिए तो नहीं रखा । नहीं नहीं ये नहीं हो सकता, पापा ने अपने लिए कपड़े खरीदने का सोचा हो; नहीं ये हो ही नहीं सकता । हाँ ये हो सकता है मेरे लिए नए कपड़े खरीदने के लिए रखा होगा । माना कि मुझे कॉलेज के सेमेस्टर के परिक्षा की फॉर्म भरनी है, 1 दिन बाद फॉर्म क्लोज हो जाएगा मैं परिक्षा नहीं दे पाऊंगा । एक लड़के की कहानी है:- मैं सोचकर आया था आज कॉलेज से की आज घर पर पापा से पैसे माँग लूँगा पर पर रास्ते में बस के सफर में मुझे कई बातें याद आईं- जैसे लोन जमा करना है, घर पर पैसे भेजने हैं, रूम का किराया भी देना है, बहन का ट्यूशन फीस भी देना है तो घर पहुँचते ही मेरे दिमाग से यह बात ही निकल गई कि मुझे पैसा भी मांगना है पापा से तो मैंने पैसा नहीं मांगा; घर आया तो पापा बता रहे थे कि सैलरी मिली है और इस सैलरी से मुझे यह करना है, लोन देना है, घर पर बहन के ट्यूशन में देना है, मम्मी की दवाइयां लेनी है, बहुत सारी चीजें हैं । पापा की बात सुनते ही याद आ गई की मुझे भी परीक्षा फॉर्म भरनी है अंदर से इच्छा तो बहुत हो रही थी कि बोला जाए पापा वो दो हजार रुपये चाहिए थे एक फॉर्म भरना है । पर आवाज निकल नहीं सकी मुँह से तो मैंने कुछ बोला नहीं । बाहर आया तो रोने का बड़ा मन कर रहा था । मन हो रहा था कि जैसे फ़ूट-फ़ूट कर तीन चार घंटे रोऊँ। और उपरवाले को मनभर कोसू । मन हो रहा था जैसे माँ होती तो उनके गोद में सर रखकर रोता पर वो दिखी नहीं वहाँ तो मैंने भी नहीं रोया । याद आ गया था कि लड़के नहीं रोते । ऐसा नहीं है की लड़के रोना नहीं चाहते या लड़कों को रोना नहीं आता; बचपन में हमने भी बहुत रोया है, बचपन में तो लड़कों को रोना आता था । लड़के रोते भी थे, पर एक एक उम्र के बाद शायद वो रोना भूल जाते हैं एक मध्यमवर्गीय परिवार का एक लड़का जब बीस साल का हो जाता है तो वो ये नहीं कहता की पापा एक हजार रुपये चाहिए दोस्तों के साथ पार्टी करनी है । जब लड़का इक्कीस-बाइस साल का हो जाता है तो ये नहीं बोलता की कॉलेज की फीस भरनी है पापा दस हजार रुपये दे दो । लड़के समझने लगते हैं कि अब पापा का शरीर थक रहा है, उन्हें और ज्यादा बोझ नहीं देना । तब रोना चाहते हैं लड़के...................पर.. नहीं लड़के नहीं रोते। लड़कों के पास भी फीलिंग होती है वह अपनी फीलिंग शेयर करना चाहते हैं, पर लड़कों की फीलिंग अच्छे से सुन सके आज तक कोई ऐसा कान नहीं बन सका। और दुनिया में कोई दिमाग नहीं बना जो लड़कियों की परेशानियों को समझ करके उसका हल निकाल सके । हर लड़का रोना चाहता हैं और वह बहुत अच्छे से रो भी सकता है । रोने में लड़कों का मुकाबला कोई नहीं कर सकता, एक लड़का रोने लगे वह दिन भर रो सकता है । मानो तो लड़के रोने में वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बना सकते हैं । पर लड़के रोते नहीं है वह नहीं दिखाना चाहते अपना आँसू। जब लड़के बीस साल के हो जाते हैं तो उन्हें उनकी खुशियाँ नहीं दिखती, उन्हें उनकी जिम्मेदारियों का एहसास होने लगता है । उन्हें दिखाई देने लगता है है कि अब फैमिली को देखना है, पापा की उम्र हो चुकी है, अब वह नहीं कर सकते काम । मम्मी का तबीयत खराब रहने लगा है, बड़ी बहन का उम्र हो चुका है शादी का.....! अब नौकरी लगेगी तो मम्मी ऑपरेशन करा लूँगा उनका इलाज करा लूँगा। बहन की शादी करनी है । घर बनाना है । ऐसे हजारों ख्वाबों के बोझ तले उनकी आँखे दब जाती हैं और शायद आँसू देना भूल जाती हैं । पर लड़के भी रोते हैं । ये बात अलग है कि उनके आंसुओ को कोई देख नहीं पाता। खैर........... इन्हीं कुछ बातों से लबरेज एक एक मध्यमवर्गीय लड़के किशोर की कहानी होगी आपके समक्ष.......पढ़िए ।। और हाँ......! मैं भी एक लड़का ही हूँ। - सौरभ कुमार ठाकुर › अगला प्रकरण लड़के भी रोते हैं - पार्ट 2 Download Our App